बीज की मूल आन्तरिक रचना
बीज (seed) पौधों का जनक होता है. बीजों को जमीन में रोपने तथा उपयुक्त मौसमी दशा उपलब्ध कराने से वे अंकुर बनते है तथा पेड़ पौधों में विकसित होते है.
बीज का महत्व
अक्षेत्रे बीजमुत्सृष्टमन्तरैव विनश्यति |
अबीजकमपि क्षेत्रं केवलं स्थण्डिलं भवेत् ||
सुबीजम् सुक्षेत्रे जायते संवर्धते
उपरोक्त श्लोक द्वारा स्पष्ट किया गया है कि अनुपयुक्त भूमि में बीज बोने से बीज नष्ट हो जाते हैं और अबीज अर्थात गुणवत्ताहीन बीज भी खेत में केवल लाथड़ी बनकर रह जाता है. केवल सुबीज-अर्थात् अच्छा बीज ही अच्छी भूमि से भरपूर उत्पादन दे सकता है. अब यह जानना आवश्यक है कि सुबीज़ क्या है सुबीजम् सु तथा बीजम् शब्द से मिल कर बना है. सु का अर्थ अच्छा और बीजम् का अर्थ बीज अर्थात् अच्छा बीज. अच्छा बीज जानने के पूर्व यह जानना भी आवश्यक है कि बीज क्या है?
वानस्पतिक परिभाषा
क) ऐसी रचना जो साधारणतया गर्भाधान के बाद भ्रूण से विकसित होती है बीज कहलाती है.
ख) विस्तारणीय ऐसी इकाई को भ्रण से उत्पन्न होती है बीज कहलाती है.
ग) ऐसा परिपक्व भ्रूण जिसमें एक पौधा छिपा होता है. और पौधों के आरंभिक पोषण के लिए खाद्य सामग्री हो तथा यह बीज कवच से ढका हो और अनुकूल परिस्थितियों में एक स्वस्थ पौधा देने में समर्थ हो, बीज कहलाता है.
घ) आक्सफोड शब्द कोष के पृष्ठ 2708 के अनुसार पौधे का भ्रूण या पौध का भाग जो बोने के उद्देश्य से इकट्ठा किया गया हो बीज कहलाता है.
ङ) एनसाईक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार बीज वह आकृति है जिसमें भ्रूण बाहरी रक्षा कवच (बीज आवरण) से ढका हो इसके अतिरिक्त खाद्य पदार्थ एन्डोस्पर्म के रूप में उपलब्ध हो तथा यहां यह पदार्थ एन्प्डोस्पर्म के रूप में न हो यहां, बीज पत्रों के रूप में हो. बीज का विकास अंडे व स्पर्म के गर्भाधान क्रिया के द्वारा होता है. और इस प्रकार से उत्पन्न युग्मज में कोशिका तथा नाभकीय विभाजन होता है तथा भ्रूण के रूप में विकसित होता है बीज निर्माण की यह प्रक्रिया विभिन्न पौधों में भिन्न-भिन्न प्रकार से होती है.
बीज खरा तो भंडार भरा
देश के सिंचित क्षेत्र में अनाज की दो प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं गेहूँ और धान. इन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए, फसल को रोगों से बचाने के लिए और अच्छी किस्म का अनाज पाने के लिए उन्नत किस्म के बीज विकसित किए गए हैं. गेहुँ और धान के अलावा मोटे अनाज, दालें, तिलहन तथा फल-सब्जियों की उन्नत किस्में भी तैयार हुई हैं. ऐसे बीज किसान को उपलब्ध हो सकें, इस दिशा में भी बराबर प्रयास हो रहे हैं.
बीज कहां से प्राप्त करें
हर तीन या चार वर्ष बाद बीज बदलना एक अच्छी नीति है, जिसके परिणामस्वरूप फसल अच्छी होती है. अच्छी उपज के लिए प्रमाणित बीज का प्रयोग करें, जो कि अच्छे संस्थान से ही प्राप्त हो सकता है. इससे अच्छा जमाव और बीज की किस्म की उत्तमता के विषय में सुनिश्चितता होती है, साथ-साथ बीज शारीरिक बीमारियों से मुक्त होता है.
भारतीय फसलें तथा उनका वर्गीकरण
वर्ग | फसलें |
ऋतु आधारित | |
खरीफ (Kharif Crops) | धान, बाजरा, मक्का, कपास, मूँगफली, शकरकन्द, उर्द, मूँग , लोबिया, ज्वार, तिल, ग्वार, जूट, सनई, अरहर, ढैंचा, गन्ना, सोयाबीन, भिंण्डी |
रबी (Rabi Crops) | गेहूँ, जौं, चना, सरसों, मटर, बरसीम, रिजका, मसूर, आलू, तम्बाकू, लाही, जंई |
जायद (Zaid Crops) | कद्दू, खरबूजा, तरबूज, लौकी, तोरई, मूँग, खीरा, मीर्च, टमाटर, सूरजमूखी |
जीवनचक्रआधारित | |
एकवर्षीय (Annuals) | धान, गेहूँ ,चना, ढैंचा, बाजरा, मूँग,कपास, मूँगफली,सरसों,आलू,शकरकन्द,कद्दू,लौकी, सोयाबीन |
द्विवर्षीय (Biennials) | चुक्कन्दर, प्याज |
बहूवर्षीय (Perennials) | नेपियर घास, रिजका,फलवाली फसलें |
आर्थिक आधारित | |
अन्न या धान्य फसलें (Cereals) | धान, गेहूँ, जौं, चना, मक्का, ज्वार, बाजरा, |
मसाले वाली फसलें (Spices) | अदरक, पुदीना, प्याज, लहसुन, मिर्च, धनिया, अजवाइन, जीरा, सौफ, हल्दी, कालीमिर्च, इलायची और तेजपात |
रेशेदार फसलें (Fibres) | जूट, कपास, सनई, पटसन, ढेंचा |
चारा फसलें (Fodders) | बरसीम, लूसर्न (रिजका), नैपियर घास, लोबिया, ज्वार |
फलदार फसलें (Fruits) | आम, अमरूद, नींबू,लिचि, केला, पपीता,सेब, नाशपाती, |
औषधीय फसलें (Medicinals) | पोदीना, मेंथा, अदरक, हल्दी, और तुलसी |
तिलहनी फसलें (Oilseeds) | सरसों, अरंडी, तिल, मूँगफली,सूरजमूखी, अलसी, कुसुम, तोरिया, सोयाबीन और राई |
दलहनी फसलें (Pusles) | चना, उर्द, मूँग, मटर, मसूर, अरहर, मूँगफली, सोयाबीन |
जड एवं कन्द (Roots & Tubers) | आलू, शकरकन्द, अदरक, गाजर, मूली, अरबी, रतालू, टेपियोका, शलजम |
उद्दीपक (Stimulants) | तमबाकू, पोस्त, चाय, कॉफी, धतूरा, भांग |
शर्करा (Sugar) | चुकन्दर, गन्ना |
विशेष उपयोग आधारित | |
अन्तर्वती फसले (Catch Crops) | उर्द, मूँग, चीना, लाही, सांवा, आलू |
नकदी फसलें (Cash Crops) | गन्ना, आलू, तम्बाकू, कपास , मिर्च, चाय, काफी, |
मृदा रदक्षक फसलें (Cover Crops) | मूँगफली, मूँग, उर्द, शकरकन्द, बरसीम, लूसर्न (रिजका) |
हरी खाद (Green Manure) | मूँग, सनई, बरसीम, ढैचां, मोठ, मसूर,ग्वार, मक्का, लोबिया, बाजरा |
बुआई समय और बीज दर के लिए फसल वर्ग चुनें
- धान्य फसलें (Cereals)
गेंहू (Wheat), जौं (Barley),बाजरा (Pearl millet), धान (Paddy), ज्वार (Sorghum) आदि.
- शाकीय फसलें (Vegetables)
बैगन(Brinjal), टमाटर(Tomato), गोभी(cauliflower), मीर्च(Chilli), खीरा (Cucumber), लौकी (Bottlegourd) आदि
- तिलहनी फसलें (Oilseeds)
राई या सरसों (Rai/ Raya/ Indian mustard/ Brown mustard/ Laha), तोरिया/ लाही/ लहिया (Toria/ Lahi),सरसों (पीली, भूरी) (Yellow sarson, Brown sarson),तारामीरा (Taramira/ Rocket salad),तिल (Sesamum/ Sesame), मूंगफली (Ground nut),अलसी (Linseed),सोयाबीन (Soybean), अरण्डी (Castor),सूरजमुखी (Sunflower) .
- दलहनी फसलें (Pusles)
चना (Gram/ Chickpea), मटर (Pea),मसूर (Lentil), मूंग (Mungbean), उर्द (Urdbean), अरहर (Pigeonpea or Redgram or Tur), लोबिया (Cowpea),सोयाबीन (Soybean).
- सुगंध पौधे (Aromatic Plants)
खस,रोशा,नींबू घास
- पुष्प फसलें (Flowers)
Gladiolus,Marigold,Rose.
- फलदार फसलें (Fruits)
आम (Mengo), अमरूद (Guava), पपीता (Pupaya), नीबू (Lemon), अंगूर (Grape), बेर (Ber).
- चारे वाली फसले (Fodders)
- खुम्बी (Mushrum)
Sowing time and Seed Rate of Cereal Crops
धान्य फसलों के लिए बुआई समय तथा बीज की मात्रा
फसल | बुआई का सही समय | रोपाई का सही समय | बीज की मात्रा (किग्रा/हैक्ट) |
गेंहू (Wheat) | समय से बुआई: 10 से 25 नवम्बर, देर से बुआई:1 से 10 दिसंबर तक, अति देर से बुआई: 20 दिसंबर से 10 जनवरी | - | 125-130 समय से बुआई तथा 130 से 150 देर से बुआई |
जौं (Barley) | असिंचित क्षेत्र: 20 अक्तुबर से 7 नवम्बर सिंचित क्षेत्र: 15 नवम्बर तक (समय से) और 15 दिसंबर तक (देर से ) | - | असिंचित: 100, सिंचित: 75 |
मक्का (Maize) | मार्च: उत्तर-पूर्व पहाड अप्रैल से मई आरम्भ:उत्तर-पश्चिम पहाड मई से जून आरम्भ:पैन्नसूला 15 जून से 15 जुलाई:उ मैदान | - | दाने की फसल के लिए 20 से 25 35-40 चारा फसल के लिए 35-40 |
बाजरा (Pearl millet) | मार्च से जुलाई | - | 8-10 |
धान (Paddy) | जून से जूलाई | जुलाई से अगस्त | 25 से 40 नर्सरी के लिए |
ज्वार (Sorghum) | मध्य जून से मध्य जूलाई | - | 12 से 15 |
Sowing time and seed rate of vegetables
शाकीय फसलों का बुआई समय व बीज मात्रा
Crops | Sowing time | Transplanting time | Harvest period | Seed rate (Kg/ha) |
Amaranthus (चौलाई) | Feb.-July | - | April-Oct. | 2-3 |
Beat Root (चुकन्दर) | Oct.-Nov. | - | Dec.-Feb. | 10-12 |
Bitter Gourd (करेला) | Feb.-March June-July | - | May-July Aug.-Oct. | 4.5-6 |
Bottle Gourd (लौकी) | Feb.-March June-July | - | April-June Oct.-Dec. | 3-6 |
Brinjal (बैंगन) | Jan.-Feb. May-June Oct.-Nov. | Feb-Mar. June-July Jan. | April-June Sept.-Nov. March-May | 0.4-0.5 |
Cabbage (बंद गोभी) | Sept.-Oct. | Oct.-Nov. | Dec.-March | 0.5-0.75 |
Capsicum (शिमला मिर्च) | Nov.-Jan. June-July | Jan.-Feb. July-aug. | April-May Sept.-Oct. | 0.2-0.3 |
Carrot (गाजर) | Aug-Oct. | - | Dec.-March | 5-6 |
Cauliflower (फूलगोभी) – Early | Early June | July | Nov. | 0.5-0.75 |
Cauliflower (फूलगोभी) -Mid season | July-Sept. | Aug.-Oct. | Nov.-Jan. | 0.3-0.4 |
Cauliflower (फूलगोभी) - Late | Sept.-Oct. | Oct.-Nov. | Jan.-March | 0.3-0.4 |
Chillies (मिर्च) | Nov.-Jan. May-June | Jan.-March June-July | April-June Sept.-Nov. | 0.5-1.0 |
Cluster Bean (ग्वांर) | Feb.-March June-July | - | April-June Aug.-Oct. | 15-25 |
Cowpea (लोबिया) | June-July Feb.-March | - | Aug-Oct. April-June | 12 20 |
Cucumber (खीरा) | Feb.-March June-July | - | May-July Aug-Oct. | 2.5-3.7 |
Dolichos Bean () | June-July | - | Oct.-Dec. | 18-20 |
Fenu Greek (मेथी) | Sept.-Nov. | - | Nov.-Feb. | 30 |
French Bean (फरास बीन) | Feb.March | - | April-May | 30-35 |
Knol-Knol (नॉल-नॉल) | Sept.-Oct. | Oct.-Nov. | Dec.-Feb. | - |
Lettuce | Sept.-Oct. | Oct.-Nov. | Dec.-Feb. | - |
Muskmelon (खरबूजा) | Jan.-Feb. | - | April-June | 3.7 |
Okra (भिण्डी) | Feb.-March June-July | - | March-June Aug.-Nov. | 18-22 8-10 |
Onion (प्याज) | Oct.-Nov. May-June | Dec.-Jan. June-July | April-June Oct.-Nov. | 8-10 |
Peas Early (मटर अगेती) Peas (मटर) | Sept.-Oct. Oct.-Nov | - - | Nov.-Jan. Jan.-March | 75-80 |
Potato (आलू) | Sept.-Nov. Dec.-Feb. | - - /td> | Jan-March March-April | - |
Radish (मूली) | April-Aug. Sept-Oct. Nov.-Jan | - | May-Sept Nov.-Jan. Dec.-March | 5.5-11 |
Palak (पालक) | Sept.-Nov. Feb. | - | Nov.-Feb. March-April | 20-25 |
Sponge Gourd (तोरी) | Feb.-March | - | April-June | 2.5-3.6 |
Ridge Gourd | June-July | - | Aug.-Oct. | - |
Round melon (टिंडा) | Feb.-March June-July | - | May-June Sept-Oct. | 3.7-5 |
Tomato (टमाटर) | June-Aug. Nov.-Dec. | Aug.-Sept. Dec.-Feb | Oct.-Dec. April-June. | 0.45-0.55 |
Turnip (शलजम) | Oct.-Nov. | - | Dec.-March. | 2.5-3.5 |
Watermelon (तरबूज) | Jan.-March | - | May-June | 3.7-5 |
Sowing time and Seed Rate of Oilseeds
तिलहनी फसलों का बुआई समय तथा बीज की मात्रा
फसल (crop) | बुआई का सही समय (Sowing time) | बीज की मात्रा (किग्रा/हैक्ट) Seed rate (kg/ha) |
राई या सरसों (Rai/ Raya/ Indian mustard/ Brown mustard/ Laha) | 30 सितंबर से 15 अक्तुबर | 5-6 |
तोरिया/ लाही/ लहिया (Toria/ Lahi) | 1 सितंबर से 15 सितंबर | 4-5 |
सरसों (पीली, भूरी) (Yellow sarson, Brown sarson) | 25 सितंबर से 15 अक्तुबर | 5-6 |
तारामीरा (Taramira/ Rocket salad) | अक्तूबर | 5-6 |
तिल (Sesamum/ Sesame) | जून - जुलाई (खरीफ) | 3-5 |
मूंगफली (Ground nut) | मध्य जून - जुलाई | 70-75 |
अलसी (Linseed) | अक्तूबर से नवम्बर | 30-40 |
सोयाबीन (Soybean) | मध्य जून से मध्य जुलाई | 70 से 75 |
अरण्डी (Castor) | 15 जून से मध्य जुलाई | 15 |
सूरजमुखी (Sunflower) | बसंत: 20 फरवरी से 10 मार्च, खरीफ: जुलाई से अगस्त आरम्भ, रबी: नवम्बर | 6 से 7 संकर किस्में |
Pulse crops sowing time and seed rate in India
दलहनी फसलों के लिए बुआई समय तथा बीज की मात्रा
दलहनी फसलों के लिए बुआई समय तथा बीज की मात्रा
Sowing time,transplanting time and seed rate of chickpea, Pea, Lentil, Mungbean, Urdbean, Redgram or Pigeonpea, cowpea, Soybean etc. | |||
फसल (crop) | बुआई का सही समय (Sowing time) | रोपाई का सही समय (Transplanting time) | बीज की मात्रा (किग्रा/हैक्ट) Seed rate (kg/ha) |
चना (Gram/ Chickpea) | असिचित-15 से 20 अक्तुबर तक सिंचित-15 नवम्बर | - | 75 से 80 |
मटर (Pea) | मध्य अक्तुबर से मध्य नवम्बर | - | 80 से 100 |
मसूर (Lentil) | मध्य अक्तुबर से मध्य नवम्बर | - | 40-60 |
मूंग (Mungbean) | बसन्त: फरवरी अंत तक ग्रीष्म: मध्य अप्रैल तक खरीफ: जुलाई में | - | 25-30 (बसन्त/ग्रीष्म) 12-15 (खरीफ) |
उर्द (Urdbean) | बसन्त: फरवरी में ग्रीष्म: मार्च से अप्रैल खरीफ: जुलाई में | - | 25-30 (बसन्त/ग्रीष्म) 12-15 (खरीफ) |
अरहर (Pigeonpea/ Redgram/ Tur) | बसन्त: फरवरी खरीफ: जून - जुलाई | - | 12-15 |
लोबिया (Cowpea) | बसन्त: फरवरी अंत तक ग्रीष्म: मध्य अप्रैल तक खरीफ: जुलाई में | - | 30-40 |
सोयाबीन (Soybean) | मध्य जून से मध्य जुलाई | - | 70 से 75 |
Pulse crops sowing time and seed rate in India
दलहनी फसलों के लिए बुआई समय तथा बीज की मात्रा
दलहनी फसलों के लिए बुआई समय तथा बीज की मात्रा
Sowing time,transplanting time and seed rate of chickpea, Pea, Lentil, Mungbean, Urdbean, Redgram or Pigeonpea, cowpea, Soybean etc. | |||
फसल (crop) | बुआई का सही समय (Sowing time) | रोपाई का सही समय (Transplanting time) | बीज की मात्रा (किग्रा/हैक्ट) Seed rate (kg/ha) |
चना (Gram/ Chickpea) | असिचित-15 से 20 अक्तुबर तक सिंचित-15 नवम्बर | - | 75 से 80 |
मटर (Pea) | मध्य अक्तुबर से मध्य नवम्बर | - | 80 से 100 |
मसूर (Lentil) | मध्य अक्तुबर से मध्य नवम्बर | - | 40-60 |
मूंग (Mungbean) | बसन्त: फरवरी अंत तक ग्रीष्म: मध्य अप्रैल तक खरीफ: जुलाई में | - | 25-30 (बसन्त/ग्रीष्म) 12-15 (खरीफ) |
उर्द (Urdbean) | बसन्त: फरवरी में ग्रीष्म: मार्च से अप्रैल खरीफ: जुलाई में | - | 25-30 (बसन्त/ग्रीष्म) 12-15 (खरीफ) |
अरहर (Pigeonpea/ Redgram/ Tur) | बसन्त: फरवरी खरीफ: जून - जुलाई | - | 12-15 |
लोबिया (Cowpea) | बसन्त: फरवरी अंत तक ग्रीष्म: मध्य अप्रैल तक खरीफ: जुलाई में | - | 30-40 |
सोयाबीन (Soybean) | मध्य जून से मध्य जुलाई | - | 70 से 75 |
Sowing time of aromatic plants
सुगंध पौधों के लिए बुआई समय
सुगंध पौधों के लिए बुआई समय
फसल | बुआई का सही समय | रोपाई का सही समय | बीज की मात्रा (किग्रा/हैक्ट) |
खस | - | जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च | - |
रोशा घास | - | मई | 2.5 |
नींबू घास | - | मई | 4-5 |
Sowing, transplanting time and flowering period of flowers
crop | Sowing time) | Transplanting time) | Flowering Period |
Gladiolus | - | - | - |
Marigold | Sept.-Oct. | Oct.-Nov. | Dec.- April |
Rose | - | Sept.- Oct. | Nov.- April |
रमुख फल वृक्षों का फूलने व फलने का समय
(Flowring and fruiting time of some important fruit trees)
फल वृक्ष (Fruits) | फूलने का समय(Flowering time) | फलने का समय(Fruiting time) |
आम (Mengo) | दिसंबर से जनवरी Dec.-Jan. | अप्रैल से जुलाई April-July |
अमरूद (Guava) | जून-जुलाई, सितंबर- अक्तुबर June-July, September-October | जुलाई-अगस्त और फरवरी- अप्रैल July-August, Feb.-April |
पपीता (Pupaya) | जुलाई -अगस्त July-Aug. | फरवरी से जून Feb.-June |
नीबू (Lemon) | फरवरी-मार्च व पूरे साल Feb.-March & whole year | जुलाई-सितंबर व पूरे साल July-Sept.& whole year |
अंगूर (Grape) | फरवरी-मार्च Feb.-March | मई-जून May-June |
बेर (Ber) | सितम्बर से अक्तूबर Sept.-Oct. | फरवरी- मार्च Feb.-March |
खुम्बी या मशरूम की बुआई का उचित समय
Appropriate time of sowing of Mushroom
Appropriate time of sowing of Mushroom
बटन खुम्बी (Button Mushrum)बटन खुम्बी उगानें का समय अक्तूबर से मार्च है . इसके बीज की मात्रा कम्पोस्ट के भार का 2% होती है. October to March is the suitable time for Button Mushroom cultivation in North India. Generally 2 % span of the compost is used. धानपुआल खुम्बी (Paddy Straw Mushrum)उत्तरी भारत में धान पुआल खुम्बी उगानें का उचित समय मई के मध्य से सितम्बर का मध्य है . इसके बीज की मात्रा कम्पोस्ट के भार का 2.5% होती है. Mid of May to Mid of September is suitable for Paddy Straw Mushroom cultivation in Northern India. ढींगरी खुम्बी (Dhingri Mushrum)ढींगरी खुम्बी उगानें का समय अक्तूबर से अप्रैल है . इसके बीज की मात्रा गीले भूसे के भार का 5 से 7 प्रतिशत होती है. |
बीज विधेयक के खिलाफ विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
नई दिल्ली, एजेंसी
First Published:29-06-09 04:46 PM
Last Updated:29-06-09 04:46 PM
कुछ प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों और किसान संगठनों का कहना है कि प्रस्तावित कानून से बीजों पर देश किसानों का परंपरागत अधिकार कमजोर हो जाएगा और स्थानीय बीज बाजार बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों के हाथ में चला जाएगा.
प्रस्तावित बीज विधेयक पर कई गंभीर आशंकाएं जहिर करते हुए देश के कुछ प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों और किसान संगठनों का कहना है कि प्रस्तावित कानून से बीजों पर देश किसानों का परंपरागत अधिकार कमजोर हो जाएगा और स्थानीय बीज बाजार बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों के हाथ में चला जाएगा.
किसान संगठन, भारतीय कृषक समाज (बीकेएस) का कहना है कि प्रस्तावित बीज कानून केवल उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यावसायिक हितों की रक्षा करेगा जो अभियांत्रिक अनुवांशिक तकनीक से तैयार (जीएम) बीजों को देश पर थोपना चाहती हैं. संगठन के अध्यक्ष डा़ कृष्णबीर चौधरी ने कहा कि सरकार की इस पहल से बीजों का मनचाहा प्रयोग करने की किसानों की स्वतंत्रता खत्म होगी और देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जायेगी.
फोरम फार बायोटेक्नोलाजी एंड फूड सिक्योरिटी के प्रमुख देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि नया बीज कानून प्लांट वराइटी प्रोटेक्शन एंड फार्मर्स राइटस अथारिटी के प्रावधानों के तहत किसानों के पारंपरिक रूप से बीज पर दिये गये अधिकार को खत्म करेगा. इससे भारत के बीज बाजार पर बीज कंपनियों की दावेदारी मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के संदर्भ में संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों की आमतौर पर अनदेखी की गई है.
नेशनल कमीशन आन फार्मर्स के पूर्व सदस्य डा आरबी सिंह ने कहा कि अभी सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों द्वारा विकसित की गई संकर बीज की किस्मों को नया नाम देकर निजी कंपनियां बाजर में बेच देती हैं. नया बीज कानून ऐसी प्रवतियों पर प्रभावी अंकुश लगाने में सक्षम हो सकेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों के सामने आने पर बीज का डीएनए परीक्षण कराना संभव हो सकेगा जिससे कि बीजों के ऊपर दावेदारी की शिनाख्त की जा सकेगी.
अंतरराष्ट्रीय संगठन ग्रीनपीस के भारत में कैम्पेन मैनेजर राजेश कृष्णा ने कहा कि जिस समय में देश में यह विधेयक लाने की तैयारी है उसे देखते हुए लगता है कि यह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के बीज व्यवसाय को प्रोत्साहित और संवर्धित करने के लिए लाया जा रहा है.
कृष्णा ने कहा कि यह किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने के मकसद से नहीं, बल्कि बीजों पर से उनके अधिकारों को छीनने के लक्ष्य से प्रेरित मालूम देता है. उन्होंने कहा कि नये बीज कानून से अंततः अदालती मामलों में वद्धि होगी क्योंकि कंपनियां किसानों पर उनके अपने ही बीज का उपयोग करने पर भी बीज की किस्म की चोरी का आरोप मढ़ सकती हैं.
बीकेएस अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि अमेरिकन मेडिकल ऐकेडमी आफ इन्वार्यनमेन्टल साइंस ने भी अपने यहां के चिकित्सकों को आगाह किया है कि वे जीएम खाद्य पदार्थों पर तत्काल रोक लगाने की चेतावनी जारी करें. चौधरी ने कहा कि दुनिया में कहीं भी जीएम फसलों से उत्पादकता नहीं बढ़ी है बल्कि इसके उलट इससे निर्यात ही प्रभावित होता है क्योंकि कई देश क्रास पालिनेशन का सवाल उठाते हुए पारंपरिक फसलों के संक्रमित होने की आशंका जताकर निर्यात की खेप को बाधित कर देते हैं.
चौधरी ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन की बाध्यता के तहत भारत ने तो पहले ही प्लांट वरायटी प्रोटेक्शन एंड फार्मर्स राइट एक्ट पारित कर रखा है, जिसमें ब्रीडर (नया बीज तैयार करने वाले) और किसान दोनों के हितों की रक्षा की बात कही गयी है, तो फिर नये कानून की आवश्यकता कहां से आ गयी. उन्होंने कहा कि अगर जरूरी हो भी तो पुराने कानून में कुछ संशोधन किया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि नये बीज कानून का असली मकसद बीज के बाजर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काबिज कराना है, जो उन्हीं के दबाव में तैयार किया गया मालूम देता है.
चौधरी ने कहा कि भारत में बीटी जीन का प्रयोग संकर प्रजतियों पर किया जा रहा है जबकि चीन जसे देशों में इस तरह का प्रयोग केवल वहां की मूल प्रजतियों में करने की छूट दी गई है ताकि वहां किसानों को खेती के लिए हर बार नया बीज खरीदना न पड़े और वे उसे बचाकर बुवाई के लिए फिर से इस्तेमाल कर सकें. मगर हमारे यहां जीन प्रौद्योगिकी का प्रयोग संकर किस्मों के साथ किया जा रहा है. इस कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियां अंततः किसानों को रायल्टी के लिए बाध्य कर सकती हैं.
समाप्त
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